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हम तो वो हैं जो हर वक़्त वाद-ए-अहले वफ़ा रखते हैं ज़

हम तो वो हैं जो हर वक़्त वाद-ए-अहले वफ़ा रखते हैं 
ज़ख्म जिधर से भी मिलते  हैं हर  ज़ख्म गिना करते हैं
ना समझ वो हैं जो मुझको ही बुरा कहते  हैं  अल्फ़ाज़
हम  तो  खुद से ही  अपनों के दिये घाव सिला करते हैं

©अली आलवी"अल्फ़ाज़" #google#poetry#alialvialfaaz
हम तो वो हैं जो हर वक़्त वाद-ए-अहले वफ़ा रखते हैं 
ज़ख्म जिधर से भी मिलते  हैं हर  ज़ख्म गिना करते हैं
ना समझ वो हैं जो मुझको ही बुरा कहते  हैं  अल्फ़ाज़
हम  तो  खुद से ही  अपनों के दिये घाव सिला करते हैं

©अली आलवी"अल्फ़ाज़" #google#poetry#alialvialfaaz