नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम , बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ! ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी , कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम ! नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी , तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम !