#OpenPoetry कितनी तकलीफ तब होती है,कितना दर्द तब होता है जब सामने तुम्हारे बेबस इंसान कोई रोता है ll फिर आकर कोई शख्स उसकी यू उम्मीद जगाता है l वो घाव भी उसके धोता है, मरहम भी वो ही लगाता है ll इस बात का मुझको गर्व है, मुझे ये भी अभिमान है l वो सख्स पिता हैं मेरे, जो धरती का दूजा भगवान् हैं ll By. Ragini Singh #OpenPoetry #Nojotopoetry #somelines for my father #supportme #creativegirl