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धरती और चंद्रमा के बीच दुरियाँ भी मिट जाती है,,जब

 धरती और चंद्रमा के बीच दुरियाँ भी मिट जाती है,,जब इंसान ठान लेता है,!
एवरेस्ट भी फतह हो जाती है ,जब इंसान ठान लेता है!
जब इंसान ठानने लगता है,तो वक्त भी मानने लगता है!
बात ठानने की है,,,,,,,,,,,,मंजिले तो तुम्हारे कदम चुमेगी

अरुणिमा का इतिहास,
उन हताशे परिंदों के लिये है
जिनके पाँव तो होते है,
 धरती और चंद्रमा के बीच दुरियाँ भी मिट जाती है,,जब इंसान ठान लेता है,!
एवरेस्ट भी फतह हो जाती है ,जब इंसान ठान लेता है!
जब इंसान ठानने लगता है,तो वक्त भी मानने लगता है!
बात ठानने की है,,,,,,,,,,,,मंजिले तो तुम्हारे कदम चुमेगी

अरुणिमा का इतिहास,
उन हताशे परिंदों के लिये है
जिनके पाँव तो होते है,