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मैंने माँ की और इस आस में नम आँखों से निहारा कि वो

मैंने माँ की और इस आस में
नम आँखों से निहारा
कि वो पापा को और डांटने से रोकेंगी

पर वो चुप रही
मैं महसूस कर रह गया
न जाने कब आँसू आँखों से
नीचे लुढ़क गए

शायद तब मैं यह समझने के
लिए बहुत छोटा था
कि पिता की डाँट होती है
माँ की ममता समान !!

©RAJESH KUMAR (RK) पिता और पुत्र
मैंने माँ की और इस आस में
नम आँखों से निहारा
कि वो पापा को और डांटने से रोकेंगी

पर वो चुप रही
मैं महसूस कर रह गया
न जाने कब आँसू आँखों से
नीचे लुढ़क गए

शायद तब मैं यह समझने के
लिए बहुत छोटा था
कि पिता की डाँट होती है
माँ की ममता समान !!

©RAJESH KUMAR (RK) पिता और पुत्र
rajeshkumarrk5528

SHAYAR (RK)

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