सोच के लिखूँ तुझे कुछ तो कलम रुक जाती है तेरी सोच में डूबे हुए मेरी सोच रुक जाती है इस कदर इश्क़ है मुझे तुझसे कि देख बेपर्दा तेरे जिस्म को अपने आप मेरी नज़रे झुक जाती है #पाक़ीज़ा #इश्क़ #मेरा