इक तरफ़ इश्क़ है, जज़्बात हैं, ख़ुद्दारी हैं इक तरफ़ भारी सी जो पड़ती हैं दुनियादारी हैं हम ने ख़ामोश किया ख़ुद को सब अज़ाब ओढ़े जिन में मुमकिन था मिल सकोगे मुझे वो सारे ख़्वाब तोड़े तुम को फुर्सत नहीं शायद मैं,भी क़ाबिल हु नहीं फ़िर सौ उलझने है तुमको हमें भी चैन कहा दोनों अपनी ही लड़ाइयों में गुम है जिम्मेदारी हैं फिर चलो इतना ही हिस्सा था शायद मेरा बेबाक, तन्हा सफ़र ही करते चलो क्यों कर साथ की उम्मीदें,यू रस्ते तकना उस तरफ से कहा आया कभी कोई अपना अब ये सब बाते फिजूल हैं,सब बेकारी है चलते रहना,चलते रहने में समझदारी हैं ©ashita pandey बेबाक़ #love_shayari लव शायरी लव शायरी