कभी ज़िंदगी उससे तो कभी वो जिंदगी से रूठा है अंदाज़-ए-नाराज़गी का ये सिलसिला भी अनूठा है मुद्दतों बाद चाहा था उसने टूट कर किसी को अब खुद ही आईने की तरह हर जगह से टूटा है लाख़ कोशिशे की दाग़-ए-मोहब्बत को छुटाने की लेकिन ये दाग़ इश्क़ का कहाँ किसी से छूटा है अंजाम-ए-मोहब्बत ऐसा की फ़क़ीर बन बैठा है लोग कहते है उसे तो उसकी मोहब्बत ने लूटा है #daastan_e_mohabbat #anjaam_e_ishq #dil_tuta_ve