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#नज़रें झुकी झुकी थी #चेहरे पे नूर था, ज़ालिम की

#नज़रें झुकी झुकी थी #चेहरे पे नूर  था,
ज़ालिम की #सादगी में भी कितना #गुरूर था💞

अब #खुद को #सम्भालते भी तो कैसे,.......💞
        बेचैन थी #आंखे और #दिल #मजबूर था ......!! 💞💞💞💞

©pareek official #Shayari
#नज़रें झुकी झुकी थी #चेहरे पे नूर  था,
ज़ालिम की #सादगी में भी कितना #गुरूर था💞

अब #खुद को #सम्भालते भी तो कैसे,.......💞
        बेचैन थी #आंखे और #दिल #मजबूर था ......!! 💞💞💞💞

©pareek official #Shayari