हां, हां ये सच है कि मुझे तुझसे प्यार हो गया था । तेरे रूप, तेरी सादगी पर ऐतबार हो गया था । शायद, शायद मन में ही तुझसे इकरार हो गया था । हां, हां ये सच है कि मुझे तुझसे प्यार हो गया था । हम, हम दोस्त थे इस बात का फिकर था मुझको चंद सपनों के टूटने का डर था मुझको शायद उस समय मन में एक वहम था मुझको आज भी तो, ना तु है, ना वे सपने फिर भी जी रहा हूं मैं वे सिलसिले, वे किस्से सब खतम हो गए । मेरी जिंदगी के खुशनुमा हिस्से थोड़े कम हो गए । काश, काश कह देता मैं, तो क्या होता ? ज्यादा से ज्यादा एक हकीकत से जुदा होता । पर, पर शायद तु समझती तो बात कुछ और होती, अपने अतीत को सोचकर इस तरह ना रोती, खैर, शायद मैं अपनी जिद का शिकार हो गया था हां, हां ये सच है कि मुझे तुझसे प्यार हो गया था । प्रतीक पांडेय तुमसे प्यार हो गया था....