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खुद को खोजन निकला मैं, यूं बाहर वाले दर्पण में। मै

खुद को खोजन निकला मैं,
यूं बाहर वाले दर्पण में।
मैं ढूंढन चला उजियारा जग में,
ले के अंधियारा मन में।
चाह यही थी मिल जाऊं खुद को,
या मिल जाऊं आप खुदा में।
बंधन नाते दुनिया के सारे,
बांधे मुझको मेरे ही मन में।
प्रीत की खातिर भटक रहा था,
अपने हिय की खुद सौतन मैं।
राह भटक गए शीश पटक दिए,
अंजानों की चौखट में।
पर दीपक जब भीतर जागा,
अंतर का अंधियारा भागा।
खुद से नेह लगाकर हमने,
मर्म स्वार्थ का हृदय से त्यागा।
अंधियारा सब नष्ट हो गया,
लौ जली जब जीवन में।
मानों तो नव जन्म हुआ है,
उजियारे का अंतर्मन मे। Hello Resties! ❤

Here's today's picture for your creative strokes to form a short story! 

~ IMPORTANT TO NOTE: 
-You can write the story both in caption or picture.  
-You must use 2 mandatory hashtags. 
- Use #rzstowrimo for us to dicover your stories.
खुद को खोजन निकला मैं,
यूं बाहर वाले दर्पण में।
मैं ढूंढन चला उजियारा जग में,
ले के अंधियारा मन में।
चाह यही थी मिल जाऊं खुद को,
या मिल जाऊं आप खुदा में।
बंधन नाते दुनिया के सारे,
बांधे मुझको मेरे ही मन में।
प्रीत की खातिर भटक रहा था,
अपने हिय की खुद सौतन मैं।
राह भटक गए शीश पटक दिए,
अंजानों की चौखट में।
पर दीपक जब भीतर जागा,
अंतर का अंधियारा भागा।
खुद से नेह लगाकर हमने,
मर्म स्वार्थ का हृदय से त्यागा।
अंधियारा सब नष्ट हो गया,
लौ जली जब जीवन में।
मानों तो नव जन्म हुआ है,
उजियारे का अंतर्मन मे। Hello Resties! ❤

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