कोई एक बार तो सोचें कि आखिर हैं क्या डॉक्टर इतने सालो मेहनत करने के बाद जो बना डॉक्टर आधी रात को अगर तेज़ दर्द उठा है मुझको तो आधी रात को मेरे लिए नींद से उठा डॉक्टर मेरे भाई ने मुँह बना लिया मेरा सड़ा ज़ख्म देखकर मगर उसी ज़ख्म को अपने हाथो से सीता डॉक्टर कोई मरीज बच ना पाए ये उसकी क़िस्मत हैं मगर उसके रिस्तेदारो के हाथो देखो मरा डॉक्टर एक ओप्रशन ज़रूरी था तो ओप्रशन थिएटर गया अपनी सालगिरह तक पर घर नहीं गया डॉक्टर जैसे हमारा बर्ताव है आज डॉक्टर को लेकर सोचो क्या हो अगर अपने घर बैठ गया डॉक्टर poetry On #Doctor #SaveDoctor #Poetry