शहर आज तू जंहा अपनी सुन्दरता की डिंगे हांकता है ना.., वहीं पर कभी हमारे पीपल की छांव थी। यही पर होती थी कच्ची गली मेरे गांव की।। मेरी डायरी मेरा गांव