इशारों से आता नहीं, बातों से झलकाना भी आता नहीं, पर हर ख़ुशी तुमसे है मेरी, क्या करुँ जताना आता नहीं। जो कभी एकटक तुम्हें निहारुँ, समझ लेना मुझे प्यार है, इक़रार इज़्हार दीवाने पन से दिल धड़काना आता नहीं। ऐतबार-ए-वफ़ा को मेरी तुम कभी धुंधला न होने देना, एक बार नाम दिल पर लिख़ के फ़िर कभी मिटाता नहीं। दिखते कई चेहरे हैं मुझको, तेरे इर्द गिर्द कोई लगता नहीं, ऐ हंसी तू ही ख़ुशी, तेरे बिन कहीं कुछ भी भाता नहीं। थाम लूँगा मैं तुम्हें, ज़िन्दगी की डगमगाती दहलीज़ पर, हाथों में देकर हाथ सनम, फ़िर छुड़ाना मुझे आता नहीं। ♥️ Challenge-961 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।