खूबसूरती क्या देखते मौसम-ए-बहार की, वो शाम ही कयामत थी उसके दीदार की, बगैर मुलाकात के ही लूटा दी हस्ती अपनी, इंतहां और क्या होगी मीसाक-ए-ऐतबार की.... #इंतहां #मौसम_ए_बहार #दीदार #क़यामत #ऐतबार