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जिन आंखों ने इंतज़ार में गुज़ार दी रात सारी उन आंखों

जिन आंखों ने इंतज़ार में गुज़ार दी रात सारी
उन आंखों में अब रोशनी बहुत चुभती है

रोशन जहां करने निकले थे जुगनू सारे
रोशनी में चमकना कहां उनके बस की है

गुज़र ही जायेंगे चार दिन इंतेज़ार में
इंतज़ार की घड़ी में, नींद कहां सज़ती है

सजी तो है, डोली भी ख्वाबों की
नींद ही कहां अपनी हमसफ़र है

भूपेंद्र रावत
23।04।2020 #जिन आंखों ने इंतेज़ार में#
#गुज़ार दी रात सारी#
जिन आंखों ने इंतज़ार में गुज़ार दी रात सारी
उन आंखों में अब रोशनी बहुत चुभती है

रोशन जहां करने निकले थे जुगनू सारे
रोशनी में चमकना कहां उनके बस की है

गुज़र ही जायेंगे चार दिन इंतेज़ार में
इंतज़ार की घड़ी में, नींद कहां सज़ती है

सजी तो है, डोली भी ख्वाबों की
नींद ही कहां अपनी हमसफ़र है

भूपेंद्र रावत
23।04।2020 #जिन आंखों ने इंतेज़ार में#
#गुज़ार दी रात सारी#

#जिन आंखों ने इंतेज़ार में# #गुज़ार दी रात सारी#