मुझ पर मजहब की तू बेड़ियाँ न डाल, उड़ने दे मुझे आज खुले आसमानों में । कल हिन्द भी हमारी कहानीयां सुनाएगा, ना नाम लिखा मेरा देश के गद्दारों में । इस देश की माटी के हकदार तो हम भी हैं, तो मुस्कुराने दे इन्हीं हिंदुस्तानों में । नफरतों की रूह को जरा कफ़न ओढ़ा, मेरे बागी जमीर को अब जरा देश प्रेम दिखाने दे ।। pooja negi# $Mahi..🙂 Reena Kumar" Navika"