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मुझ पर मजहब की तू बेड़ियाँ न डाल, उड़ने दे मुझे आज ख

मुझ पर मजहब की तू बेड़ियाँ न डाल,
उड़ने दे मुझे आज खुले आसमानों में ।

कल हिन्द भी हमारी कहानीयां सुनाएगा,
ना नाम लिखा मेरा देश के गद्दारों में ।

इस देश की माटी के हकदार तो हम भी हैं,
तो मुस्कुराने दे इन्हीं हिंदुस्तानों में ।

नफरतों की रूह को जरा कफ़न ओढ़ा,
मेरे बागी जमीर को अब जरा देश प्रेम दिखाने दे ।। aman6.1 pooja negi# $Mahi..🙂 Jonny Reena Kumar" Navika"
मुझ पर मजहब की तू बेड़ियाँ न डाल,
उड़ने दे मुझे आज खुले आसमानों में ।

कल हिन्द भी हमारी कहानीयां सुनाएगा,
ना नाम लिखा मेरा देश के गद्दारों में ।

इस देश की माटी के हकदार तो हम भी हैं,
तो मुस्कुराने दे इन्हीं हिंदुस्तानों में ।

नफरतों की रूह को जरा कफ़न ओढ़ा,
मेरे बागी जमीर को अब जरा देश प्रेम दिखाने दे ।। aman6.1 pooja negi# $Mahi..🙂 Jonny Reena Kumar" Navika"
mukeshpatel7365

Mukesh Patel

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