थके थके से मेरे चेहरे पर तेरी यादो की मुस्कान आती है जब भी हूँ अकेली तेरा साथ पाती हूँ तू दोस्त मेरी परछाई हुआ करती थी मेरा गुस्सा तेरी हंसी से डरता था तू मेरी हर बात मे साथ रहती चुपचाप मेरी बकबक सुनती बिन पूछे ही गले से लग जाती तू दूर सी है इसलिए ही याद आ रही आज मेरी पागल सखी दूसरे शहर जा रही .....