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बेटी होने के फर्ज़ के आगे माँ की ममता झुक गई, उसने

बेटी होने के फर्ज़ के आगे माँ की ममता झुक गई,
उसने जो उस नन्ही जान को, गर्भ में ही मार दिया। वो एक माँ बन रही थी पर वो एक बेटी भी तो थी।
परिवार की इज़्ज़त उसके हाथ में ही तो थी।
बिन ब्याही माँ को समाज किस नज़र से देखता है सब जानते हैं। इकलौती बेटी थी। माँ बाप का सहारा। आखिर बेटी के फर्ज़ के आगे माँ का फर्ज़ हार गया।

जो ऐसी कुरीतियों को धिक्कार करने का मन करे तो वाह ज़रूर करे।

P.C: Pinterest
बेटी होने के फर्ज़ के आगे माँ की ममता झुक गई,
उसने जो उस नन्ही जान को, गर्भ में ही मार दिया। वो एक माँ बन रही थी पर वो एक बेटी भी तो थी।
परिवार की इज़्ज़त उसके हाथ में ही तो थी।
बिन ब्याही माँ को समाज किस नज़र से देखता है सब जानते हैं। इकलौती बेटी थी। माँ बाप का सहारा। आखिर बेटी के फर्ज़ के आगे माँ का फर्ज़ हार गया।

जो ऐसी कुरीतियों को धिक्कार करने का मन करे तो वाह ज़रूर करे।

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