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युद्ध छिड़ा मन के भीतर है, खई करू ख्वाबों का या प

युद्ध छिड़ा मन के भीतर है,
खई करू ख्वाबों का या 
पूरा करू हर आहों को,
अपने ही ख़्वाब बने दुश्मन जब,
करे भला कोई क्या तब,
हर ख़्वाब जलाना मैं चाहूं,
हर आँह मिटाना मैं चाहूं,
समझे कोई व्यथा मेरी भी 
और किसी से कुछ मैं न चाहूं,
जब युद्ध निरंतर बढ़ता जाए ,
तब करे सो क्या कोई बताए..??

©Aditi Bhardwaj
  #PhisaltaSamay #Khaie #khwab 🌝 #Time