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इस तरह शाम घिर के आती है जिस तरह तू खड़ी शरमाती है

इस तरह शाम घिर के आती है
जिस तरह तू खड़ी शरमाती है

जब अंधेरे - उजाले मिलते हैं
 तब  हवा  मस्त हो के गाती है

आसमानी  सितारे   सजते हैं
चाँदनी  चाँद की  मुस्काती है

Es Tarah Shaam Ghir Ke Aati Hai
Jis Tarah Tu Khadi Sharmati Hai

Jab Andhere Ujaale Milte Hai
Tab Hawa Mast Ho Ke Gaati Hai

Aasmani Sitare Sajte Hai
Chandani Chand Ki Muskaati Hai



-Ashraf Fani Kabir इस तरह शाम घिर के आती है
जिस तरह तू खड़ी शरमाती है

जब अंधेरे - उजाले मिलते हैं
 तब  हवा  मस्त हो के गाती है

आसमानी  सितारे   सजते हैं
चाँदनी  चाँद की  मुस्काती है
इस तरह शाम घिर के आती है
जिस तरह तू खड़ी शरमाती है

जब अंधेरे - उजाले मिलते हैं
 तब  हवा  मस्त हो के गाती है

आसमानी  सितारे   सजते हैं
चाँदनी  चाँद की  मुस्काती है

Es Tarah Shaam Ghir Ke Aati Hai
Jis Tarah Tu Khadi Sharmati Hai

Jab Andhere Ujaale Milte Hai
Tab Hawa Mast Ho Ke Gaati Hai

Aasmani Sitare Sajte Hai
Chandani Chand Ki Muskaati Hai



-Ashraf Fani Kabir इस तरह शाम घिर के आती है
जिस तरह तू खड़ी शरमाती है

जब अंधेरे - उजाले मिलते हैं
 तब  हवा  मस्त हो के गाती है

आसमानी  सितारे   सजते हैं
चाँदनी  चाँद की  मुस्काती है