भारतेंदु हरिशचंद्र का नाम इतिहास के पन्नो पर अंकित रामबाण है,,,,, ठीक इसी तर्ज पर ओडिशी नृत्य के. उड़ीसा के नृतककार "श्री कृष्णेन्द्र से मिलकर ऐसा लगा जैसे,,,,,, भारतेंदु हरिशचंद्र से मिला",,,,, वास्तव मे जब हम किसी कलाकार से मिलते है तो मानों ऐसा लगता जैसे हम किसी युग पुरुष से मिले,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कलाकार अपनी जीवंत कहानी लिखकर वह अपने आप को इतिहास के पन्नो. पर अमिट कर देता है,,,,,,,,,,,,,,