परेशानियों का डर क्यों सता रहा है तुझे ज़ीस्त फ़ानी है ये समा बता रहा है तुझे जो आया है उसे तो जाना ही है एक दिन ग़ालिबन ये वक़्त आज़मा रहा है तुझे पशेमाँ मत हो इन रुसवाइयों के डर से ज़िन्दगी का वो चराग़ बुला रहा है तुझे उदासी और ग़म से क्या मरासिम हैं तेरे मयस्सर है ख़ुशी, दिल बता रहा है तुझे उतार फैंक तू ये चादर इज़्तिराबी की 'सफ़र' रूहानी है ख़ुदा बता रहा है तुझे ग़ालिबन- शायद पशेमाँ- शर्मिंदा मरासिम- relation मयस्सर- available इज़्तिराब- बेचैन ♥️ Challenge-570 #collabwithकोराकाग़ज़