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हम इन्सान नहीं हैं कन्धे हैं... वो जिन पर रख कर प

हम इन्सान नहीं हैं
कन्धे हैं... 
वो जिन पर रख कर पाँव
छुआ जाता है ऊँचाई को;
और जिन पर रख कर बन्दूकें
चलायी जाती हैं गोलियाँ... 

हम इन्सान नहीं हैं
सीढ़ियाँ हैं... 
वो जिन पर चढ़ कर
बढ़ा जाता है आगे;
और जिन्हें रौंद कर
मुड़ा नहीं जाता... 

हम जनता नहीं हैं
भेड़ें हैं.. 
और ये नेता नहीं
चरवाहे हैं.. 
बाक़ी बची सियासत..? 
तो वो ठहरी...कसाई!

©Kritika Kiran #democracy #protest #mob #citizen #politics #kritikakiran
#HeartBook
हम इन्सान नहीं हैं
कन्धे हैं... 
वो जिन पर रख कर पाँव
छुआ जाता है ऊँचाई को;
और जिन पर रख कर बन्दूकें
चलायी जाती हैं गोलियाँ... 

हम इन्सान नहीं हैं
सीढ़ियाँ हैं... 
वो जिन पर चढ़ कर
बढ़ा जाता है आगे;
और जिन्हें रौंद कर
मुड़ा नहीं जाता... 

हम जनता नहीं हैं
भेड़ें हैं.. 
और ये नेता नहीं
चरवाहे हैं.. 
बाक़ी बची सियासत..? 
तो वो ठहरी...कसाई!

©Kritika Kiran #democracy #protest #mob #citizen #politics #kritikakiran
#HeartBook