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चांद टूटा पिंगल गए तारे कतरा कतरा टपक रही हैं रांत

चांद टूटा पिंगल गए तारे
कतरा कतरा टपक रही हैं रांते
मौसम मिज़ाज बदल गया उसका
जब बेह रहीं थीं आंखों से धारे
सुनहरे थे सब किस्से उसके
फिर क्यूं बदल गए उसके किनारे #Chand_tuta_tara_pighla बी+3+8+
चांद टूटा पिंगल गए तारे
कतरा कतरा टपक रही हैं रांते
मौसम मिज़ाज बदल गया उसका
जब बेह रहीं थीं आंखों से धारे
सुनहरे थे सब किस्से उसके
फिर क्यूं बदल गए उसके किनारे #Chand_tuta_tara_pighla बी+3+8+