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गज़ब करती है ख्वाहिशें मेरी गुलशाद, अजब बवाल करती ह

गज़ब करती है ख्वाहिशें मेरी गुलशाद,
अजब बवाल करती है,
हर शह पे थम जाए वहीँ,
कैसे पाऊँ बस यही सवाल करती है,
गज़ब करती है ख्वाहिशे मेरी,
ना ज़िक्र कोई हालातों का,
ना उस वक़्त का हाल पढ़ती है,
ना फिक्र कोई कल की,
ना आज का खयाल करती हैं,
गज़ब करती है ख्वाहिशें मेरी,
अजब बवाल करती हैं। gazab karti hai khwaahishe meri....
गज़ब करती है ख्वाहिशें मेरी गुलशाद,
अजब बवाल करती है,
हर शह पे थम जाए वहीँ,
कैसे पाऊँ बस यही सवाल करती है,
गज़ब करती है ख्वाहिशे मेरी,
ना ज़िक्र कोई हालातों का,
ना उस वक़्त का हाल पढ़ती है,
ना फिक्र कोई कल की,
ना आज का खयाल करती हैं,
गज़ब करती है ख्वाहिशें मेरी,
अजब बवाल करती हैं। gazab karti hai khwaahishe meri....