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है ये कैसी रीत, है ये कैसी अनोखी जुदाई। बाबुल के आ

है ये कैसी रीत, है ये कैसी अनोखी जुदाई।
बाबुल के आँगन से क्यों होती, बेटी की विदाई।
जिसे हर पल लगा के रखा अपने कलेजे से,
क्यों हो जाती है विवाह के बाद वही बेटी पराई।

©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल 
#sneha_geet 
#साहित्य_सागर 
#मुक्तक_सृजन
है ये कैसी रीत, है ये कैसी अनोखी जुदाई।
बाबुल के आँगन से क्यों होती, बेटी की विदाई।
जिसे हर पल लगा के रखा अपने कलेजे से,
क्यों हो जाती है विवाह के बाद वही बेटी पराई।

©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल 
#sneha_geet 
#साहित्य_सागर 
#मुक्तक_सृजन