तुम सोचना, तुम भी, तुम भी और तुम भी, जब कभी एकांत में बैठो, जब चित्त पूर्ण शांत हो, तब ये सोचना, शून्य में निहारते हुए, दिमाग़ को परे रखकर, तुम ये सोचना कभी अपने अंदर उतर कर, टटोलना अपनी अंतरात्मा को, लौट जाना कुछ क्षण के लिए, उसी बचपन में फिर मिलना मुझसे वैसे ही जैसे सबका बचपन बीता था पूछना स्वयं से इस जीवन में कितना जीवन है क्या ऐसा ही चाहा था हमने तुमने #घरपूछताहै #बचपन_ #परिवार #yqbaba #yqdidi