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अतिशोभित रमणीक प्रकृति में है विराजमान ऋतु बरसात,

अतिशोभित रमणीक प्रकृति में
है विराजमान ऋतु बरसात,
जँह-तँह रह-रह घन बरस रहे
गुंजायमान है तड़ित घात,
चहुँ दिसि में हरियाली पसरी
प्रस्फुटित नूतन किसलय-पात,
नभ-गुंजित कर रहे मधुरिम विहंग
सप्त-सुर साधित सब दादुर साथ,
घनाच्छादित रंगमंच पर करता नृत्य
सुधि खोये मस्त मलंग मयूर जात,
ये सम्बोधन पतझड़ तुमको सूचित हो
नीरसता क्षणभंगुर है ये अटल बात।।
                       ©बृजेन्द्र 'बावरा' #NojotoHindi #नोजोटोहिन्दी #Nojoto_Hindi_Poetry #Best_Rain_poetry #bawraspoetry #Naturesays #NatureSpeaks #Nature_poetry #BarsaatPoetry #बरसात_कविता #प्रकृति_प्रेम #Nature_Love Satyaprem Internet Jockey Dr Ashish_Vats @n upadhyay Darpana Singh
अतिशोभित रमणीक प्रकृति में
है विराजमान ऋतु बरसात,
जँह-तँह रह-रह घन बरस रहे
गुंजायमान है तड़ित घात,
चहुँ दिसि में हरियाली पसरी
प्रस्फुटित नूतन किसलय-पात,
नभ-गुंजित कर रहे मधुरिम विहंग
सप्त-सुर साधित सब दादुर साथ,
घनाच्छादित रंगमंच पर करता नृत्य
सुधि खोये मस्त मलंग मयूर जात,
ये सम्बोधन पतझड़ तुमको सूचित हो
नीरसता क्षणभंगुर है ये अटल बात।।
                       ©बृजेन्द्र 'बावरा' #NojotoHindi #नोजोटोहिन्दी #Nojoto_Hindi_Poetry #Best_Rain_poetry #bawraspoetry #Naturesays #NatureSpeaks #Nature_poetry #BarsaatPoetry #बरसात_कविता #प्रकृति_प्रेम #Nature_Love Satyaprem Internet Jockey Dr Ashish_Vats @n upadhyay Darpana Singh