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|| नकली बाबा|| घरबार की जिम्मेदारी निभाना, ना हो

|| नकली बाबा||

घरबार की जिम्मेदारी निभाना, ना हो जिसके बस की बात।
लेकर कर्जा भग जाते हैं, बच्चों को वे छोड़ अनाथ।
बढ़ा के दाढ़ी- बाल छुपाते हैं वो अपनी पहचान।
अनपढ़ अज्ञानी बाबा बन कर, देते मूर्खों को ज्ञान।

कोई कत्ल का कोई रेप का, कोई चोरी का अपराधी 
आधे से ज्यादा की होती, सोच बहुत जातिवादी।
सच्चे साधू संत कभी भी, छुआछूत नहीं करते 
ऊंच-नीच जो करते हैं, होते ढोंगी पाखंडवादी।

क्यों पढ़ने नहीं देते दूसरी, जात को आखिर वेद पुराण 
किसने यह षड्यंत्र रचा, ब्राह्मण को मिला उच्च स्थान।
पंडित पुजारी मठाधीश, ये ही बनते महामंडलेश्वर 
क्या यह भेदभाव करता है, कोई भगवन परमेश्वर।

©Vijay Vidrohi ||नकली_बाबा|| #gururavidas #कबीर #शैली #my #new #poetry #doha #qoutes  Hinduism metaphysical poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry
|| नकली बाबा||

घरबार की जिम्मेदारी निभाना, ना हो जिसके बस की बात।
लेकर कर्जा भग जाते हैं, बच्चों को वे छोड़ अनाथ।
बढ़ा के दाढ़ी- बाल छुपाते हैं वो अपनी पहचान।
अनपढ़ अज्ञानी बाबा बन कर, देते मूर्खों को ज्ञान।

कोई कत्ल का कोई रेप का, कोई चोरी का अपराधी 
आधे से ज्यादा की होती, सोच बहुत जातिवादी।
सच्चे साधू संत कभी भी, छुआछूत नहीं करते 
ऊंच-नीच जो करते हैं, होते ढोंगी पाखंडवादी।

क्यों पढ़ने नहीं देते दूसरी, जात को आखिर वेद पुराण 
किसने यह षड्यंत्र रचा, ब्राह्मण को मिला उच्च स्थान।
पंडित पुजारी मठाधीश, ये ही बनते महामंडलेश्वर 
क्या यह भेदभाव करता है, कोई भगवन परमेश्वर।

©Vijay Vidrohi ||नकली_बाबा|| #gururavidas #कबीर #शैली #my #new #poetry #doha #qoutes  Hinduism metaphysical poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry
vijayvidrohi8791

Vijay Vidrohi

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