प्रेम पत्र ********** अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇👇 मेरे प्रियतम, प्यार का महीना आ गया, तुम कहां रह गए। यह दिन काट रहे हैं तुम्हारी यादों के सहारे। आंखें बंद करते हैं तो आते हैं सपने तुम्हारे, तुम्हारी हसी शरारते ,मुझे चिढ़ाना फिर मुझे मनाना ना जाने क्यों इतना याद आ रहा है। इस प्यार के महीने में प्यार बरसा रहा है। दिल की गहराइयों में एक टीस सी होती है, तेरी जुदाई को सोच कर। जैसे घड़िया में नजदीकी मिलन आ रही है मेरा दिल भी घबरा रहा है। दिल का करार खो रहा है इसको आकर तुम करार दे दो। अनजान थे एक दूसरे से ना जाने आज कैसे जान बन गए।दिल की धड़कनों को जो दे रहा था वह पहचान बन गए। अब दिल का हर कोना ढूंढे तेरी ही गली, तेरे प्यार में मजनून से हो गए। मेरे लबों पर तेरे इश्क की मिठास है वह मीठा मीठा सा एहसास है तेरी बाहों में अपनापन तमाम हरकतों को करता है पूरा। जल्दी मिलो सजना इस प्यार भरे महीने में मेरा प्यार है अधूरा। पास करती हूं जल्द मिलन की सजना, रंगो के त्योहार में तुझ संग लगा दे मुझे ऐसा रंग पिया, ताउम्र ना जिसका रंग उतरे पिया। वफा के रंग में दूंगी तो भी तू अपनी मोहब्बत करना मुझ पर चढ़ा दे दिया। प्रियवर तुम्हारी तरह से तुम्हें बुला रही है धड़कन ए तुम्हारा ही गीत गा रही है इन धड़कनों की आवाज सुन जल्दी से मेरे प्रीतम आ जाओ। तुम्हारी प्रियसी रोज़ी संबरीया