छोटी मोटी नोक झोंक फिर रूप वो लड़ाई का, उसको फिर सुलझाना और माँ से सर खपाई का, दौलत से भी तोला ना जाये ऐसा रिश्ता दिया रब ने, लाखों झगड़ो के बाद भी रिश्ता गहरा बहन भाई का।। स्कूल में मारा जो किसी ने मुझे उसे डाँट तुम लगाती थी, दीदी मेरे स्कूल का बस्ता तुम ही तो ले जाती थी, भूल जाऊं जिस दिन टिफ़िन मैं घर पर तो, मेरे लिए खाना भी तो तुम ही लाती थी।। रिमोट की लड़ाई फिर होती रोज शाम को, हराम कर देते थे हम मम्मी जी के आराम को, खाकर के मम्मी के हाथ से दो चाँटे हम फिर, बैठ जाते थे करने स्कूल से मिले काम को।। अब रहता इंतेज़ार तुम्हारे वापिस घर पर आने का, मेरी भांजियों को अपने हाथों से खिलाने का, छोड़ कर क्यों जाती है बहने अपने घर को बोलो! ये दस्तूर समझ ना आया मुझे इस जमाने का।। हाँ, समझ ना आया ये दस्तूर जमाने का।। #बहन_भाई #unbreakablebond