#RIPRohitSardana इसी तरह मजदूरों का जीवन भुखमारी में गुजर जाएगा..! सोचा नहीं था दर्द हमारा कि अखबारी में गुजर जाएगा..!! चौराहे पर खड़ा - खड़ा तू बूत बने हुए बिक जाएगा..! किस-किस को दोषी मानेगा तू ग्लानि में गुजर जाएगा..!! चार पैसे और दो वक़्त की रोटी जीने के लिए उम्र छोटी..! बचा - कुचा किस्तों का घऱ नीलामी मे गुज़र जाएगा..!! ना कोई देखेगा बेचारी ना कोई समझेगा तेरी लाचारी..! और तेरा- मेरा जीवन यूं हीं अपमानी में गुजर जाएगा..!! हाथों में पड़ते छाले दो पेट लिए ना मिल सके निवाले..! साहेब तेरा बलिदान यूं ही गुमनामी में गुजर जाएगा..!! जो उठाएगा शमशीर तो खोखले वादों में दब जाएगा..! ये तेरा-मेरा करते-करते खींचातानी में गुजर जाएगा..!! यहां भूखे नंगो की बस्ती में पाँव हैं मोज़ों की कस्ती में..! निश्छल भाव रखते-रखते तीमारदारी में गुजर जाएगा..!! थक हार कर जब आएगा तू अपनों को बेबस पाएगा..! कलम की तरह चीखते हुए चारदीवारी में गुजर जाएगा..! ©Darshan Raj #a #Labour_Day #Labourday #worldlabourday #specialday #कविता #Nojoto #nojotonews #मजदूर #gazal मañjü pãwãr haquikat