आईने सा तू किरदार निभाया कर, सच को सच,झूठ को झूठ बताया कर। बहुत दिया औरों को तूने मशवरा , ख़ुद को भी थोड़ा बहुत समझाया कर। हाथ तापते है बस केवल लोग यहाँ, घर में अपने ख़ुद ना आग लगाया कर। ज़न्नत में साझा करने को 'गोपाल' मेरे, पैर बुज़ुर्गों के भी कभी दबाया कर। कृष्ण गोपाल सोलंकी✍