दिसंबर का महीना रूठे है इस कदर हमसे शिकायत भी नहीं कर रहे हैं महक भी रहे हैं हमारे लिए पर नज़र भी नहीं मिला रहे हैं करलो और थोड़ा मुझपे क्रोध पर अकेले ना तड़पो हमे भी तो तड़पने दो ख्वाइश हमारी भी है थोड़ी बहुत हमे भी तो पूरी कर लेने दो B+3+5+8