झरने की तरह बहते थे मेरे आंसू,फिर भी दिल से उसे निकाल ना सका। रोते रोतें कट गई मेरी राते,बस दिन ही उसका इंतजार था। बस ठान लिया था हमने मरना मंजूर है उसे भूलना नहीं। और मैं उसे भुला दूं, दुनिया में अभी ऐसी ताकत पैदा हुई नहीं। विनोद मौर्य...✍️ भूल ना सका....