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तक़दीर की तस्वीर धुंधली पड़ी,बड़ी जिंदगी की रफ़्त

 तक़दीर की तस्वीर धुंधली पड़ी,बड़ी जिंदगी की रफ़्तार..!
तेरे इश्क़ में हाज़िर रहे,हम होने को गिरफ़्तार..!

ख्यालों के खेत खाली पड़े,उलझनों के हुए प्रहार..!
इंतज़ार में उमर ढलती रही,चलती रही मन पे कटार..!

अकेले हम अकेले तुम,तन्हाई के शिकार..!
कौन माने अपना हमें,महफ़िलों के हम गुनहगार..!

जिसे समझा अपना सदा,वो ही निकले गद्दार..!
सुख का सूरज हुआ अस्त,दुख का मिला अंबार..!

आस काश में बीती जिंदगी,तेरे साथ के रहे तलबगार..!
सुर्खियों में छाये हम बादलों जैसे,चर्चे में रहा जीवन का अखबार..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #againstthetide #kaashtumthaharpate