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हीरो की बहारों की उम्मीद थी लेकिन कहर ने धोखा दे द

हीरो की बहारों की उम्मीद थी लेकिन कहर ने धोखा दे दिया मनोहर और इतना साले किसी को कब तक बेवकूफ बनाया जा सकता है एक बार फिर पर हार का सामना करना पड़ा शहरों ने एक ऐसे समय में धोखा दे दिया जनता के समर्थन की गुहार को अनसुना कर दिया कुल मिलाकर उम्मीद इतनी भेद रंग ही की हीरो के मंथन करना पड़ा मारते हैं क्या नहीं करते जब करने के लिए जब तो वे जमानत के हिसाब से अलावा कुछ और नहीं हो पाया तो हार नेता मंथन ही करते क्या होता होगा किसी पार्टी की हार के बाद वह मंत्र की बैठक में जब देवता और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था तो एक सांप का मंथन के लिए रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था क्या हारी हुई पार्टियों की बैठक में किसी को यह पता था कि वह देवताओं के दल की तरफ से रस्सी खींच रहा है या दानव के दल की तरफ से राजनीति ने राहुल तो अक्सर अपना भी इस बदलकर देवता दिखाते रहने की कोशिश करते हैं उन्हें पछताना कैसा होगा देवताओं के बीच तो एकरा होता लोकतंत्र में बहुत बुरे राहुल रूप बदलकर देवता बन पड़े हैं पार्टी यदि सहानुभूति का अमृत भारतीय होती होगी तो सांसदों को अलग से पहचानने की मत कर पाती होगी क्या ऐसा संभव नहीं है कि कोई पार्टी अपने बीच से बुरे लोगों को दूर करने की इमानदारी कोशिश करें तो इसमें गिनती के लोग बच जाए शायद कोई ना बचे फिर पार्टी क्या करेंगे मंथन कैसे होगा पार्टी को मंथन करना ही चाहिए हालांकि पार्टी के बड़े लोग जानते थे कि पार्टी के हैरान और क्यों हैरान है पार्टी के लिए अच्छा होता कि वह मंथन करें

©Ek villain #राजनीतिक दलों का मंथन

#Connection
हीरो की बहारों की उम्मीद थी लेकिन कहर ने धोखा दे दिया मनोहर और इतना साले किसी को कब तक बेवकूफ बनाया जा सकता है एक बार फिर पर हार का सामना करना पड़ा शहरों ने एक ऐसे समय में धोखा दे दिया जनता के समर्थन की गुहार को अनसुना कर दिया कुल मिलाकर उम्मीद इतनी भेद रंग ही की हीरो के मंथन करना पड़ा मारते हैं क्या नहीं करते जब करने के लिए जब तो वे जमानत के हिसाब से अलावा कुछ और नहीं हो पाया तो हार नेता मंथन ही करते क्या होता होगा किसी पार्टी की हार के बाद वह मंत्र की बैठक में जब देवता और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था तो एक सांप का मंथन के लिए रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था क्या हारी हुई पार्टियों की बैठक में किसी को यह पता था कि वह देवताओं के दल की तरफ से रस्सी खींच रहा है या दानव के दल की तरफ से राजनीति ने राहुल तो अक्सर अपना भी इस बदलकर देवता दिखाते रहने की कोशिश करते हैं उन्हें पछताना कैसा होगा देवताओं के बीच तो एकरा होता लोकतंत्र में बहुत बुरे राहुल रूप बदलकर देवता बन पड़े हैं पार्टी यदि सहानुभूति का अमृत भारतीय होती होगी तो सांसदों को अलग से पहचानने की मत कर पाती होगी क्या ऐसा संभव नहीं है कि कोई पार्टी अपने बीच से बुरे लोगों को दूर करने की इमानदारी कोशिश करें तो इसमें गिनती के लोग बच जाए शायद कोई ना बचे फिर पार्टी क्या करेंगे मंथन कैसे होगा पार्टी को मंथन करना ही चाहिए हालांकि पार्टी के बड़े लोग जानते थे कि पार्टी के हैरान और क्यों हैरान है पार्टी के लिए अच्छा होता कि वह मंथन करें

©Ek villain #राजनीतिक दलों का मंथन

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Ek villain

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