बादलों के महल में पानी से भरे आँगन में कल रात आग लगी थी जिसकी न जाने क्या वज़ह थी कल तेरे-मेरे बीच अनकहे प्रेम की दीवार चीन की दीवार हो चली थी कल धरती का बंजरपन घना गहरा गया था नमी की आस डूब गयी थी कल मैं वाचाल हो सदैव को मौन हो चली जिह्वा को पल-पल कोस रही थी कल वर्तमान अतीत हो चला था वो प्रेम का सपना टूट गया था..! 🌹 #mनिर्झरा बादलों के महल में पानी से भरे आँगन में कल रात आग लगी थी जिसकी न जाने क्या वज़ह थी कल तेरे-मेरे बीच