उसने बताया था, इसमें सुकून मिलता है, सोचने का ज़रिया, उसके मुंह से निकलता धुआं, आकर्षक लगता, गोल-गोल छल्ले, एक के पीछे एक जाते हुए। वो आता और कुर्सी पर बैठ, दीवार को ताकता रहता, छल्ले बनाता रहता सोच के, सामने बैठी घूरती रहती, मैं उसे लगातार। जैसे अभी वो मुझे घूरता है, सामने लगी तस्वीर से, मैं गोल-गोल छल्ले बना, सोचना सीख रही हूं, कुछ और उसके सिवा। Anuup Kamal Agrawal सर की पोस्ट से प्रेरित.. #yqbaba #yqhindi #yqdidi #hindiquotes #yqdidihindi #pc_google #namanandini