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शायद अब ये हमारी आखिरी मुलाकात की घड़ी थी और इस म

शायद अब ये हमारी आखिरी मुलाकात की घड़ी थी
 और इस मुलाकात की घड़ी में भी तुम्हें जल्दी पड़ी थी।
मेरे दिल ने चाहा तुझको रोकूं, तुझसे बात करूं
अपने दिल के सारे राज़ तुझसे साझेदार करूं।
पर तुझे तो हर बार की तरह जल्दी पड़ी थी
क्योंकि तुझे नहीं पता था कि ये आखिरी मुलाकात की घड़ी थी।
                              :-GUMNAAM BABA #online_poetry, #online_talk
#shaayrinama, #love_poetry,#love
शायद अब ये हमारी आखिरी मुलाकात की घड़ी थी
 और इस मुलाकात की घड़ी में भी तुम्हें जल्दी पड़ी थी।
मेरे दिल ने चाहा तुझको रोकूं, तुझसे बात करूं
अपने दिल के सारे राज़ तुझसे साझेदार करूं।
पर तुझे तो हर बार की तरह जल्दी पड़ी थी
क्योंकि तुझे नहीं पता था कि ये आखिरी मुलाकात की घड़ी थी।
                              :-GUMNAAM BABA #online_poetry, #online_talk
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