तिरी जुस्तजु मे जानम, दुनियाँ भुलाए बैठे हैं। तू आए न आए हम तो, महफिल सजाए बैठे हैं। हमको पता है याद भी, उनको न होंगे हम, सदियाँ हुई हम उनको, दिल मे बसाए बैठे हैं। समझा है कौन मोहब्बत की, फितरत को कभी, राहे-उल्फत मे वफा की, उम्मीद लगाए बैठे हैं। होती नहीं मोहब्बत, कभी सोच कर ,"फिराक़", स॔गदिल ज़माना है, क़िस्मत आजमाए बैठे हैं। नमस्कार लेखकों! 🌺 आज का WOTD (Word Of The Day)— जुस्तजू or quest. 🌻दिए गए शब्द का अपने लेखन में प्रयोग किजिये। 🌻अपने लेखन को आप अपनी मर्ज़ी मुताबिक हिंदी या English में अभिव्यक्त कर सकते हैं। (Both Hindi and English are allowed.)