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जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं चीख

जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं
चीख चीख क्या मिला है उनको जो हरपल चिल्लाते हैं

हम जैसे हैं हम को वैसा ही रहने दो बदलो मत
हम वो भक्त नहीं जो दिनभर कमल कमल चिल्लाते हैं

लोग सामने से अक्सर करते झूठी तारीफ मेरी
बाद में मेरे आगे पीछे अगल बगल चिल्लाते हैं

सीख तलफ़्फ़ुज़ उर्दू वाली बात करेंगे नुक़्ते की
मिसरे बह्र से बाहर हैं और ग़ज़ल ग़ज़ल चिल्लाते हैं

सातों दिन हो गए कथा के लाउड स्पीकर फोड़े कान
इक थकता तो दूजा आता बदल बदल चिल्लाते हैं

© राहुल रेड  #peace #rahulred
#gajal
जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं
चीख चीख क्या मिला है उनको जो हरपल चिल्लाते हैं

हम जैसे हैं हम को वैसा ही रहने दो बदलो मत
हम वो भक्त नहीं जो दिनभर कमल कमल चिल्लाते हैं

लोग सामने से अक्सर करते झूठी तारीफ मेरी
बाद में मेरे आगे पीछे अगल बगल चिल्लाते हैं

सीख तलफ़्फ़ुज़ उर्दू वाली बात करेंगे नुक़्ते की
मिसरे बह्र से बाहर हैं और ग़ज़ल ग़ज़ल चिल्लाते हैं

सातों दिन हो गए कथा के लाउड स्पीकर फोड़े कान
इक थकता तो दूजा आता बदल बदल चिल्लाते हैं

© राहुल रेड  #peace #rahulred
#gajal
rahulred9278

Rahul Red

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