मंज़िलें तो बहुत आयी थी जब थे सफर में हम, ताउम्र चला जाये, वो रास्ता नहीं मिला। वो शख़्स जिसने इंसान को इंसान ना समझा, करता है शिकायत मुझे खुदा नहीं मिला। कुछ लोग बेवजह ही झूठ बेचने लगे, कहकर की हमको सच में फायदा नहीं मिला। जो कुछ मिला मुझे, वो जिनकी नज़र में है, वो जानते नहीं है कि क्या-क्या नहीं मिला। - आशीष तिवारी 'Poetic Pandit' #ashishkishayri #hindi #nojoto #nojotohindi #hindiwriters