वो समझे,हम इश्क़ में बर्बाद हो गए... ज़ख़्म देकर वो आबाद हो गए... पर वो हवा का रुख़ नहीं देखा... सामने समंदर था हम डूबकर भी पार हो गए वो समझे हम, इश्क़ में बर्बाद हो गए तुम गुलशन का, मिजाज़ देखकर,बदल गए आपकी मुस्कुराहट में हम सिमट गए तुम तो उजालों से, दोस्ती कर ली हम अंधेरों से दो कदम आगे निकल गए तेरे इश्क़ में हम शर्मिंदा है मेरे क़तील,अभी ज़िंदा है दिल तो वफ़ात हो गया, कफ़न में मेरे इंशाफ का चिराग़ अभी ज़िंदा है मेरे नाम का लोहबान जलते रहेंगे जब तक इश्क़ बरसाते रहेंगे तुम यूं ना भुला पाओगे मुझे जब तक मेरे अपने बुलाते रहेंगे " प्रेम दिवान" # सुशांत सिंह #meltingdown