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फिर इक बार मन को आघात हुआ है किसी को अपना मान धोखा

फिर इक बार मन को आघात हुआ है
किसी को अपना मान धोखा जो खाया है
पल पल बढ़ रही है वेदना अंतर्मन की
क्यूँ आखिर संताप गहरा दिल को हुआ है


जज़्बातों से अबोध बेशक अभी वो हैं
नासमझ वो क्यूँ ...
इन एहसासों से अंजान अब तक है
माटी पका कर जो मजबूत घड़ा बनाया है
उसे तोड़ने की जिद में आखिर जाने क्यूँ हैं 

बेखबर परिणाम से बेखौफ जमाने से
पल पल डूब रहे हैं अनजाने अफसानों में
मगन वो दिलकश ख्वाबों को अभी बुनने में हैं
ग़मज़दा वो दरमियाँ हमारे दूरियाँ बढ़ाने में हैं।


चलो जाने भी दिया फिर  उन्हें हमने
मन को समझा कर बसर कर लिया हमने
दर्द को घूट घूट कर पी लिया हमने
तब भी जहर गले उतर न पाया है 

फिर इक बार मन को आघात हुआ है
किसी को अपना मान धोखा जो खाया है

©Priya Singh
  #ehsas #Feeling #worstfeeling #SAD