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हवा कुछ के रही थी पर शायद में सुनने को तैयार ना था

हवा कुछ के रही थी
पर शायद में सुनने को तैयार ना था-(।)
शायद रुकने को कहा रही थी ,
पर मैं रुकने को तैयार ना था।
शायद कुछ बोलना था उसे मुझसे कुछ ,
पर मैं बात करने को तैयार ना था-(।।)
आज जब बैठा हूं मैं सांस के सहारे,
ताकि वो कुछ लम्हें दे गुहार समझकर,
पर आज वो सुनने को तैयार ना था-(।।।) #हवाओं से अपना रुख मत मोड़ीइए,
गिन कर मिलती है ये ज़िन्दगी में।।।
हवा कुछ के रही थी
पर शायद में सुनने को तैयार ना था-(।)
शायद रुकने को कहा रही थी ,
पर मैं रुकने को तैयार ना था।
शायद कुछ बोलना था उसे मुझसे कुछ ,
पर मैं बात करने को तैयार ना था-(।।)
आज जब बैठा हूं मैं सांस के सहारे,
ताकि वो कुछ लम्हें दे गुहार समझकर,
पर आज वो सुनने को तैयार ना था-(।।।) #हवाओं से अपना रुख मत मोड़ीइए,
गिन कर मिलती है ये ज़िन्दगी में।।।
krbhaskarprakash1008

B_haskar

New Creator

#हवाओं से अपना रुख मत मोड़ीइए, गिन कर मिलती है ये ज़िन्दगी में।।। #Quote