हवा कुछ के रही थी पर शायद में सुनने को तैयार ना था-(।) शायद रुकने को कहा रही थी , पर मैं रुकने को तैयार ना था। शायद कुछ बोलना था उसे मुझसे कुछ , पर मैं बात करने को तैयार ना था-(।।) आज जब बैठा हूं मैं सांस के सहारे, ताकि वो कुछ लम्हें दे गुहार समझकर, पर आज वो सुनने को तैयार ना था-(।।।) #हवाओं से अपना रुख मत मोड़ीइए, गिन कर मिलती है ये ज़िन्दगी में।।।