वो हवाओं के ढंग और होली के रंग बड़े मजे आते है मेरे दोस्तों के संग, जब होते हैं हम सब , हो जाता है दुनिया रंग बिरंगे बड़े सीधे है दिखते है मेरे दोस्त, हमे यार की गलियां और कुछ लोगों की रंगरलियां सब याद आते है वो कली और क्लास की फूल-झड़ी सबको हम रंगते है वो नीरज का चिकन खाना और पोषण का हम सबको कहीं ले जाना सब समझ आता है अनिल और मेरा हिचकिचाना और लीलाधर, मनमोहन का फ्रैंक होना सब जायज है हेमलाल का ट्रिक्स और चंद्रकांत की शायरी की हेट्रिक्स कुछ समझ नहीं आता जब हम सब साथ होते है तो दिखते सीमेंट सेंड और ब्रिक्स जिनसे बनता बिल्डिंग और ब्रिज, वो हवाओं के ढंग और होली के रंग बड़े मजे आते है मेरे दोस्तों के संग l HAPPY HOLI Sun writer ©Durgesh Kumar Happy holi