तुम्हारे स्पर्श भर से तर बतर हो जाती हूं , तुम्हारे गौण रूप में आप साँवल हो जाती हूं , खेलती हूं ,बहती हूं ,उड़ती हूं ; तुम जिस तरह चाहो असर हो जाती हूं ! तुम जो हवा दो अधर से मेरी मृदुलता शुद्ध , कोमल हर स्वर हो जाती हूं तुमसे तुम्ही को अर्पित मुरली मनोहर हो जाती हूं 🍃 मृदुलता ( नज़ाकत ) ❤️ . #worldmusicday #musiclove #yqdidi