गीत 1/3.परिस्थितियों के कारण सपने हैं टूटे कौन कहता कि सपने हम संजोते नही माना कि थोड़े से शक्त हैं हम कौन कहता कि लड़के हैं रोते नही वक़्त के काले साये ने हमको झुकाया वरना आदमी हम बड़े खतरनाक थे। हमारी चेतना को नेपथ्य से देखकर सुरमा भी यहां पर अवाक थे। हमेशा दिखेंगे मुस्कान लिए खड़े महफिलों में आँखे भिगोते नही माना कि थोड़े से शक्त हैं हम कौन कहता की लड़के है रोते नहीं -shashwat आयुष ©shashwat ayush फ